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Pratinidhi Kahaniyan-Hrishikesh Sulabh

by Hrishikesh Sulabh

''अपनी कहानियों पर बात करना मेरे लिए कठिन काम है। बहुत हद तक अप्रिय भी। लिखी जा चुकी और प्रकाशित हो चुकी कहानियों से अक्सरहाँ मैं पीछा छुड़ाकर भाग निकलता हूँ, पर मुझे लगता है कि यह मेरा भ्रम ही है। मेरी कहानियों के कुछ पात्र लगातार मेरा पीछा करते हैं और अपनी छवि बदलकर, किसी लिखी जा रही नई कहानी में घुसने की बार-बार कोशिशें करते हैं। कई बार तो घुस भी आते हैं और मैं उन्हें न रोक पाने की अपनी विवशता पर हाथ मलते रह जाता हूँ। जैसे, 'वधस्थल से छलाँगÓ का रामप्रकाश तिवारी, जो 'यह गम विरले बूझे' या 'काबर झील का पाखी' जैसी कहानियों में घुस आया। मैंने अपनी कहानियों में प्रवेश के लिए किसी एक रास्ते का चुनाव नहीं किया। हर कहानी में प्रवेश के लिए मेरी राह बदल जाती है। कभी किसी पात्र की बाँह पकड़कर प्रवेश करता हूँ, तो कभी कोई घटना या व्यवहार या स्मृति या विचार कहानी के भीतर पैठने के लिए मेरी राहों की निर्मिति करते हैं। हमेशा एक अनिश्चय और अनिर्णय की स्थिति बनी रहती है। हर बार नई कहानी शुरू करने से पहले मेरा मन थरथर काँपता है। शायद यही कारण है कि बहुत कम कहानियाँ लिख सका हूँ। मेरे कुछ मित्रों का मानना है कि कहानी और नाटक लिखने के बीच आवाजाही के कारण मेरी कहानियों पर आलोचकों की नज़र नहीं पड़ी। पर यह सच है कि नाटक और कहानी के बीच मेरी यह आवाजाही मुझे बहुत प्रिय है। हर बार नौसिखुए की तरह अथ से आरम्भ करना मुझे पुनर्नवा करता है। मैं यह करते रहना चाहता हूँ।'' —भूमिका से

Pratinidhi Kahaniyan-Akhilesh

by Akhilesh

अखिलेश की कहानियाँ बातूनी कहानियाँ हैं . .गजब का बतरस है उनमें । वे अपने पाठकों से जमकर बातें करती हैं अपने सबसे प्यारे दोस्त की तरह गलबहियाँ लेकर वे आपको आगे और. आगे ले जाती हैं और उनमें उस तरहकी सभी बातें होती हैं जो दो दोस्तों के बीच घट सकती हैं । (कोई चाहे तो इसे कहानीपन भी कह सकता है ।) यही वजह है कि बेहद गम्भीर विषयों पर लिखते हुए भी अखिलेश की कहानियाँ . जबर्दस्ती की गम्भीरता कभी नहीं झड़ती हैं । पढ़ते हुए कई बार एक मुस्कान-सी ओठों पर आने को ही होती है । क्योंकि उनके यहाँ कोई बौद्धिक आतंक, सूचना का कोई घटाटोप या किसी और तरह का बेमतलब का जंजाल चक्कर नहीं काटता कि पाठक कहीं' और ही फँसकर रह जाए. । इन कहानियों की एक और खूबी येह भी है कि ये कहानियाँ पाठक से ही नहीं बात करती चलती बल्कि खुद उनके भीतर भी कई तरह के समानान्तर संवाद चलते रहते हैं 1 वे खुद भी अपने चरित्रों से बतियाते चलते हैं, उनके भीतर चल रही उठा- पटक को .अपने अखिलेशियन अन्दाज में' सामने लाते हुए । क्या है ये अखिलेशियन अन्दाज ! उसकी पहली पहचान यह है कि वह बिना मतलब गम्भीरता का ढोंग नहीं करते बल्कि उनकी कहानियाँ अपने पाठकों को भी थोपी हुई गम्भीरता से दूर ले जानेवाली कहानियाँ हैं. । उनकी कहानियों का गद्य मासूमियत वाले अर्थों में हँसमुख ? नहीं है बल्कि चुहल- भरा, शरारती पर साथ ही बेधनेवाला गद्य है ।

Pattakhor: पत्ताखोर 

by Madhu Kankariya

स्वातंत्र्योत्तर भारतीय समाज में हमने जहाँ विकास और प्रगति की कई मंजिले तय की हैं वहीं अनेक व्याधियाँ भी अर्जित की हैं। अनेक समाजार्थिक कारणों से हम ऐसी कुछ बीमारियों से घिरे हैं। जिनका कोई सिरा पकड़ में नहीं आता।

Pratinidhi Kahaniyan-Geetanjali Shree

by गीतांजलि श्री

यह गीतांजलि श्री की कहानियों का प्रतिनिधि संचयन है। गीतांजलि की लगभग हर कहानी अपनी टोन की कहानी है और विचलन उनके यहाँ गभग नहीं के बराबर है और यह बात अपने आपमें आश्चर्यजनक है क्योंकि बड़े-से-बड़े लेखक कई बार बाहरी दबावों और वक़्ती ज़रूरतों के चलते अपनी मूल टोन से विचिलत हुए हैं। यह अच्छी बात है कि गीतांजलि श्री ने अपनी लगभग हर कहानी में अपनी सिग्नेचर ट्यून को बरकरार रखा है। लेकिन सवाल यह है कि गीतांजलि कीकहानियों की यह मूल टोन आखिर है क्या? एक अजीब तरह का फक्कड़पन, एक अजीब तरह की दार्शनिकता, एक अजीब तरह की भाषा और एक अजीब तरह की रवानी। लेकिन ये सारी अजीबियतें ही उनके कथाकार को एक व्यक्तित्व प्रदान करती हैं। यहाँ यह कहना ज़रूरी है कि यह सब परम्परा से हटकर है और परम्परा में समाहित भी।

Kabeer (Kabeer Ke Vyaktitva, Sahitya Aur Darshanik Vicharonki Aalochana) – Ranchi University N.P.U: कबीर (कबीर के व्यक्तित्व, साहित्य और दार्शनिक विचारों की आलोचना) - रांची युनिवर्सिटी, एन.पि.यू.

by Hazari Prasad Dwivedi

कबीर (कबीर के व्यक्तित्व, साहित्य और दार्शनिक विचारों की आलोचना) यह पुस्तक राजकमल प्रकाशन ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में कबीरदास जिस सहज-समाधि की बात कहते हैं वह योगमार्ग से असम्मत नहीं है। यहाँ यह भी कह रखना जरूरी है कि पुस्तक में भिन्न-भिन्न साधन-मार्गों के ऐतिहासिक विकास की ओर ही अधिक ध्यान दिया गया है। पुस्तक के अंत में उपयोगी समझकर ‘कबीर-वाणी’ नाम से कुछ चुने हुए पद्य संग्रह किए गए हैं। उनके शुरू के सौ पद श्री आचार्य क्षितिमोहन सेन के संग्रह के हैं। पुस्तक के इस संस्करण में यथासंभव संशोधन किया गया है। पुस्तक लंबी प्रतीक्षा के उपरांत पाठकों के समक्ष आ रही है।

Pratinidhi Kahaniyan-Shekhar Joshi

by Shekhar Joshi

शेखर जोशी की कहानियों में शिल्प और संवेदना के अंतर्संबंधो की सुरम्य रचना के साथ जीवन और समाज के सहज उन्नयन एवं परिवर्तनकारी दृष्टि के प्रति दायित्वबोध साफ़ दृष्टिगोचर होता है ! कथात्मक गठन में भाषा के सूक्ष्म उपयोग का उन जैसा आधुनिक बोध हिन्दी कहानी में अपरिचित है ! अत्यन्त सहज और ठंडी भाषा के माध्यम से ए कहानियाँ हमारे समक्ष जिस यथार्थ का उद्घाटन करती हैं, उसके पीछे समकालीन जन-जीवन की बहुविध विडम्बनाओं को महसूस किया जा सकता है ! सपनों की वास्तविकता से अपरिचित बच्चों की ख़ुशी हो या बिरादरी की दलदल में फँसे व्यक्ति की मनोदशा-लेखकीय दृष्टि उन्हें एक अर्थ-गाम्भीर्य से भर देती है ! उसके पास आदर्शवादी निर्णय हैं तो उनके सामने खड़ा कठोर और भयावह यथार्थ भी है ! वस्तुतः शेखर जोशी की ये कहानियाँ बिना किसी शोर-शराबे के हमारी सोच के विभिन्न स्तरों को स्पर्श और झंकृत करनेवाले रचनात्मक गुणों से परिपूर्ण हैं !

Pratinidhi Kahaniyan-Amarkant

by अमरकांत

अमरकांत की कहानियों में मध्यवर्ग, विशेषकर निम्न-मध्यवर्ग के जीवनानुभवों और जिजीविषाओं का बेहद प्रभावशाली और अन्तरंग चित्रण मिलता है ! अक्सर सपाट-से नजर आनेवाले कथ्यों में भी वे अपने जिवंत मानवीय संस्पर्श के कारण अनोखी आभा पैदा कर देते हैं ! सहज-सरल रूपबंधवाली ये कहानियां जिंदगी की जटिलताओं को जिस तरह समेटे रहती हैं, कभी-कभी उससे चकित रह जाना पड़ता है ! लेकिन यह अमरकांत की ख़ास शैली है ! अमरकांत के व्यक्तित्व की तरह उनकी भाषा में भी एक ख़ास किस्म की फक्कड़ता है ! लोक-जीवन के मुहावरों और देशज शब्दों के प्रयोग से उनकी भाषा में माटी का सहज स्पर्श तथा ऐसी सोंधी गंध रच-बस जाती है जो पाठकों को किसी छदम उदात्तता से परे, बहुत ही निजी लोक में, ले जाती है ! उनमे छिपे हुए व्यंग्य से सामान्य स्थितियाँ भी बेहद अर्थव्यंजक हो उठती हैं ! अमरकांत के विभिन्न कहानी-संग्रहों में चरित्रों का विशाल फलक ‘जिन्दगी और जोंक’से लेकर ‘मित्र मिलन’ तक फैला हुआ है ! उन्ही संग्रहों की लगभग सब चर्चित कहानियां एक जगह एकत्र होने के कारण इस संकलन की उपादेयता निश्चित रूप से काफी बढ़ गई है !

Pratinidhi Kahaniyan-Rangeya Raghav

by Rangeya Raghav

प्रस्तुत संकलन में जिन दस कहानियों को प्रस्तुत किया है वे हैं :‘पंच परमेश्वर’, ‘नारी का विक्षोभ’,‘देवदासी’, ‘तबेले का धुँधलका’,‘ऊँट की करवट’, ‘भय’, ‘जाति और पेशा’,‘गदल’, ‘बिल और दाना’ तथा ‘कुत्ते की दुम और शैतान : नए टेकनीक्स’।

CCR BJM 002 Samudayik Rediyo me Sanchalan Khand 4 Dirghakalin Kshamata – IGNOU: सी.सी.आर. बी.जे.एम. 002 सामुदायिक रेडियो में संचालन खंड 4 दीर्घकालीन क्षमता - इग्नू

by Indira Gandhi Rashtriya Mukta Vishvavidyalaya

सामुदायिक रेडियो में प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम का यह दूसरा पाठ्यक्रम, रेडियो स्टेशन में होने वाले विभिन्न क्रिया कलाप की जानकारी देता है। जिसमें केन्द्र की स्थापना की प्रक्रिया भी शामिल है। पाठ्यक्रम के इस दूसरे भाग में रेडियो के तकनीकी पक्ष पर विशेष ध्यान दिया गया है जैसे तकनीकी उपकरण, उनका रखरखाव तथा कार्यक्रम निर्माण की तकनीक। पाठ्यक्रम 2 की समाप्ति के बाद आपको किसी सामुदायिक रेडियो केन्द्र पर 10 दिवसीय इन्टर्नशिप करना होगी जहां आप रेडियो के कार्यक्रम बनाने के लिए तकनीकी, सैद्धान्तिक तथा प्रायोगिक रूप में जानकारियां प्राप्त करेंगे। कार्यक्रम प्रबंधन भी इसका अंग होगा जो आप पाठ्यक्रम 1 और 2 में जान चुके हैं। सामुदायिक रेडियो में प्रमाण-पत्र के पाठ्यक्रम 2 का यह चौथा खंड "दीर्घकालीन क्षमता शीर्षक वाला खंड है। इसमें व्यावसायिक योजनाओं और दीर्घकालीन क्षमता विकास के बारे में चर्चा की गयी है।

CCR BJM 002 Samudayik Rediyo me Sanchalan Khand 3 Nirman ki Takniki – IGNOU: सी.सी.आर. बी.जे.एम. 002 सामुदायिक रेडियो में संचालन खंड 3 निर्माण की तकनीक – इग्नू

by Indira Gandhi Rashtriya Mukta Vishvavidyalaya

सी.सी.आर. बी.जे.एम. 002 सामुदायिक रेडियो का संचालन खंड 3 निर्माण की तकनीक – इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । सामुदायिक रेडियो में प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम का यह दूसरा पाठ्यक्रम, रेडियो स्टेशन में होने वाले विभिन्न क्रिया कलाप की जानकारी देता है। जिसमें केन्द्र की स्थापना की प्रक्रिया भी शामिल है। पाठ्यक्रम के इस दूसरे भाग में रेडियो के तकनीकी पक्ष पर विशेष ध्यान दिया गया है जैसे तकनीकी उपकरण, उनका रखरखाव तथा कार्यक्रम निर्माण की तकनीक। पाठ्यक्रम 2 की समाप्ति के बाद आपको किसी सामुदायिक रेडियो केन्द्र पर 10 दिवसीय इन्टर्नशिप करना होगी जहां आप रेडियो के कार्यक्रम बनाने के लिए तकनीकी, सैद्धान्तिक तथा प्रायोगिक रूप में जानकारियां प्राप्त करेंगे।

CCR BJM 002 Samudayik Rediyo me Sanchalan Khand 2 Karyakram Nirman – IGNOU: सी.सी.आर. बी.जे.एम. 002 सामुदायिक रेडियो में संचालन खंड 2 कार्यक्रम निर्माण - इग्नू

by Indira Gandhi Rashtriya Mukta Vishvavidyalaya

सामुदायिक रेडियो में प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम का यह दूसरा पाठ्यक्रम, रेडियो स्टेशन में होने वाले विभिन्न क्रिया कलाप की जानकारी देता है। जिसमें केन्द्र की स्थापना की प्रक्रिया भी शामिल है। पाठ्यक्रम के इस दूसरे भाग में रेडियो के तकनीकी पक्ष पर विशेष ध्यान दिया गया है जैसे तकनीकी उपकरण, उनका रखरखाव तथा कार्यक्रम निर्माण की तकनीक। पाठ्यक्रम 2 की समाप्ति के बाद आपको किसी सामुदायिक रेडियो केन्द्र पर 10 दिवसीय इन्टर्नशिप करना होगी जहां आप रेडियो के कार्यक्रम बनाने के लिए तकनीकी, सैद्धान्तिक तथा प्रायोगिक रूप में जानकारियां प्राप्त करेंगे। कार्यक्रम प्रबंधन भी इसका अंग होगा जो आप पाठ्यक्रम 1 और 2 में जान चुके हैं। सामुदायिक रेडियो में प्रमाण-पत्र के पाठ्यक्रम 2 का यह दूसरा खंड "कार्यक्रम निर्माण" शीर्षक वाला खंड है। इस पाठ्यक्रम में कार्यक्रमों की योजाना और विशेषज्ञों की भूमिका और बाहरी स्रोत जैसे अहम पक्षों पर प्रकाश डाला गया है।

CCR BJM 002 Samudayik Rediyo me Sanchalan Khand 1 Sthapana Ke Liye Takneek – IGNOU: सी.सी.आर. बी.जे.एम. 002 सामुदायिक रेडियो में संचालन खंड 1 स्थापना के लिए तकनीक - इग्नू

by Indira Gandhi Rashtriya Mukta Vishvavidyalaya

सामुदायिक रेडियो में प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम का यह दूसरा पाठ्यक्रम, रेडियो स्टेशन में होने वाले विभिन्न क्रिया कलाप की जानकारी देता है। जिसमें केन्द्र की स्थापना की प्रक्रिया भी शामिल है। पाठ्यक्रम के इस दूसरे भाग में रेडियो के तकनीकी पक्ष पर विशेष ध्यान दिया गया है जैसे तकनीकी उपकरण, उनका रखरखाव तथा कार्यक्रम निर्माण की तकनीक। पाठ्यक्रम 2 की समाप्ति के बाद आपको किसी सामुदायिक रेडियो केन्द्र पर 10 दिवसीय इन्टर्नशिप करना होगी जहां आप रेडियो के कार्यक्रम बनाने के लिए तकनीकी, सैद्धान्तिक तथा प्रायोगिक रूप में जानकारियां प्राप्त करेंगे। कार्यक्रम प्रबंधन भी इसका अंग होगा जो आप पाठ्यक्रम 1 और 2 में जान चुके हैं। सामुदायिक रेशियों में प्रमाण-पत्र के पाठ्यक्रम 2 का यह पहला खंड "स्थापना के लिए टेक्नोलॉजी" शीर्षक वाला खंड है। सामुदायिक रेडियो केन्द्र की स्थापना के लिए आधारभूत ढांचे तथा तकनीकी जरूरतों को के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान प्रदान करता है।

BSHF - 101 Manvikee Aur Samajik Vigyan Me Aadhar Pathyakram - Khand 7 Samsamayik Mudde Aur Chunautiyaan - IGNOU: BSHF - 101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम - खंड 7: समसामयिक मुद्दे और चुनौतियाँ - इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BSHF-101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम (खंड 7: समसामयिक मुद्दे और चुनौतियाँ) - इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड की पाँच इकाइयाँ हैं, इन खण्ड में कुछ "समसामयिक मुद्दे और चुनौतियाँ" पर विचार किया गया है। खण्ड में मानव सुरक्षा, शिक्षा और जागरूकता, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, शान्ति और संघर्ष तथा पर्यावरण से सम्बद्ध समाज विज्ञान में उभरते हुए कुछ मुद्दों से परिचित किया है। इन इकाइयों में कुछ मुख्य प्रश्नों, चिन्ताओं, और वाद-विवादों पर चर्चा करने का प्रयास किया है।

BSHF- 101 Manvikee Aur Samajik Vigyan Mey Aadhar Pathyakram - Khand 5 Aarthik Vikas - IGNOU: BSHF -101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम - खंड 5 आर्थिक विकास - इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BSHF-101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम (खंड 5: आर्थिक विकास) - इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड की चार इकाइयाँ हैं, इकाई 17 में भारत की अर्थव्यवस्था की आधारभूत संरचना का विवेचन किया गया है। यह आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास के बीच अंतर से प्रारंभ होता है। इकाई 18 आर्थिक योजना के भारतीय परिप्रेक्ष्य को दर्शाता है जोकि आर्थिक विकास की प्राप्ति में सहायक भूमिका निभाई है। इसमें विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के मुख्य उद्देश्यों और दबाब क्षेत्रों को स्पष्ट किया गया है। इकाई 19 में भारत की अर्थव्यवस्था का आकलन किया गया है। योजना उद्देश्यों को पृष्ठभूमि में रखते हुए इस इकाई में स्वतंत्रयोत्तर अवधि के दौरान आर्थिक संवृद्धि के संदर्भ में अंतर्वैयक्तिक और अतः क्षेत्रीय असमानता में न्यूनीकरण और गरीबी उन्मूलन के आधार पर भारत की अर्थव्यवस्था के निष्पादन का विश्लेषण किया गया है। इकाई 20 में भारतीय अर्थव्यवस्था के भूमंडलीकरण के आधारभूत सिद्धांतों और 1990 के दशक के दौरान देखे गए आमूलचूल नीति परिवर्तनों के पीछे तर्कों का विवेचन किया गया है।

BSHF -101 Manvikee Aur Samajik Vigyan Me Aadhar Pathyakram - Khand 6 Kalaen Aur Saundaryashastra - IGNOU: BSHF -101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम - खंड 6: आर्थिक विकास - इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BSHF-101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम (खंड 6: कलाएँ और सौन्दर्यशास्त्र) - इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । कलाएँ और सौन्दर्यशास्त्र किसी भी समाज की सभ्यता सम्बन्धी प्रक्रिया के आधार हैं। उनमें हमें मानवीय कल्पनाशीलता और संवेदनशीलता की उच्चतम अभिव्यक्ति मिलती है। इस खंड में चार आधारभूत पहलुओं पर चर्चा की गई है अर्थात् (i) साहित्य, (ii) ललित कलाएँ, (iii) नृत्य व संगीत, और (iv) चलचित्र व रंगमंच। हमने इन इकाइयों में कला के उन विभिन्न रूपों की रूपरेखा प्रस्तुत करने का प्रयास किया है जो इन अभिव्यक्तियों में विकसित हुए हैं।

BSHF- 101 Manvikee Aur Samajik Vigyan Me Aadhar Pathyakram - Khand 4 Rajanitik Aur Prashasanik Pranali - IGNOU: BSHF -101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम - खंड 4: राजनीतिक और प्रशासनिक प्रणाली -इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BSHF-101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम (खंड 4: राजनीतिक और प्रशासनिक प्रणाली) - इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड में भारतीय राजनीति और सार्वजनिक प्रशासन व कार्यनीतियों की प्रकृति और संरचना के बारे में चर्चा की गई है। इस खंड में 4 इकाइयाँ हैं, जिनमें भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताओं, भारत में लोकतंत्र की प्रकृति, प्रशासनिक संरचना और प्रक्रियाओं तथा शासन के मुद्दों व कार्यनीतियों का वर्णन किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य राजनीतिक और प्रशासनिक संस्थाओं की मूल कार्यप्रणाली की जाँच करना है।

BSHF -101 Manvikee Aur Samajik Vigyan Mey Aadhar Pathyakram - Khand 2 Manav Samaj Aur Isaka Vikas - IGNOU: BSHF - 101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम - खंड 2: मानव समाज और इसका विकास - इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BSHF-101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम (खंड 2: मानव समाज और इसका विकास) - इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड में 4 इकाइयाँ हैं, जिनमें हम औनिवेशिक भारत के स्वरूप का अध्ययन करेंगे। विश्व के अन्य क्षेत्रों में होने वाले विकास की चर्चा करने के उपरान्त हम विशेष रूप से भारत पर ही ध्यान केन्द्रित करेंगे और हमको उन क्षेत्रों में औपनिवेशिक विस्तार के प्रभाव का अध्ययन कराएंगे जो औपनिवेशिक थी।

BSHF 101 Manvikee Aur Samajik Vigyan Me Aadhar Pathyakram (Khand 1 Manav Samaj Evan Isaka Vikas) IGNOU: BSHF 101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम (खंड 1: मानव समाज एवं इसका विकास) इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BSHF-101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम (खंड 1: मानव समाज एवं इसका विकास) – इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड में हमको समाज की संकल्पना से अवगत कराएंगे। समाज विज्ञानों में समाज तथा उसके अतीत, वर्तमान और भविष्य का अध्ययन किया गया है। मानव तथा आधुनिक समाज के उदय से संबंधित इकाइयाँ हैं। अंतिम इकाई में समकालीन समाज की धारणा विशेषतः उत्तर औधोगिक समाज की अवधारणा का परिचय दिया गया है। ये इकाइयाँ इस बात की जाँच करती हैं कि कैसे समाज में परिवर्तन घटित होता है और समय-समय पर उसमें परिवर्तन होता है समाज की इस परिवर्तन की प्रकृति के बारे में भी कुछ विचार व्यक्त किए गए हैं।

BSWE- 001 Samaj Karya Parichay - Khand 6 Samaj Karyakarta Ke liye Manovigyan Ke Multatva – IGNOU: BSWE- 001 समाज कार्य परिचय - खंड 6 समाज कार्यकर्ता के लिए मनोविज्ञान के मूलतत्व – इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BSWE- 001 समाज कार्य परिचय - खंड 6 समाज कार्यकर्ता के लिए मनोविज्ञान के मूलतत्व – इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खण्ड में मनोविज्ञान की अवधारणा और समाज कार्य व्यवहार में उनका प्रयोग के संबंध में परिचय कराया जाएगा। इसकी पहली इकाई 'समाज कार्य व्यवहार में मनोनिज्ञान की प्रासंगिकता' है, जिसमें समाज कार्य व्यवहार में मनोविज्ञान का महत्व और मनोविज्ञान की विभिन्न शाखाओं का वर्णन किया है। दूसरी इकाई ‘मानव व्यवहार की मूल मनोवैज्ञानिक अवधारणाएँ हमको महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक अवधारणाओं पर सूचना उपलब्ध कराती है। तीसरी इकाई 'प्रतिरक्षा तन्त्र' नाम से है जो मानव व्यवहार में इसके प्रयोग को स्पष्ट करती है और प्रतिरक्षा तन्त्र के परिणामों से अवगत कराती है। चौथी इकाई ‘सामान्यता और असामान्यता' से संबंधित है जो मानव जीवन में असामान्य व्यवहार इसके लक्षण और निदान को समझने में आपकी सहायता करेगी। इसकी पाँचवी और अंतिम इकाई 'सामाजिक मनोविज्ञान की मूलभूत अवधारणाएँ' है, जिसमें सामाजिक समूहों में व्यक्तिगत व्यवहार के संबंध में चर्चा की है।

BSWE-001 Samaj Karya Parichay - Khand 4 - Samajik Vyavastha Aur Samajik Upavyavsthaen – IGNOU: BSWE-001 समाज कार्य परिचय - खंड 4 - सामाजिक व्यवस्था और सामाजिक उपव्यवस्थाएँ – इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BSWE-001 समाज कार्य परिचय (खंड 4: सामाजिक व्यवस्था और सामाजिक उपव्यवस्थाएँ) – इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड में चार परस्पर संबद्ध इकाइयाँ हैं, इस खंड में “सामाजिक व्यवस्था और सामाजिक उपव्यवस्थाएँ में आप समाज के कुछ महत्वपूर्ण घटकों परिवार, वर्ग, जाति, संस्कृति एवं राज्य से संबंधित जानकारी प्राप्त करेंगे। ये व्यक्ति के व्यक्तित्व को प्रभावित करने में विशेष महत्वपूर्ण हैं। ये व्यक्ति के सामाजिक नियत कर्तव्य तथा उस ढाँचे की, जिसके अन्तर्गत स्त्री या पुरुष अपने निर्णय लेते हैं, और सामाजिक स्थिति से संबंधित अपने विशेषाधिकार तथा कर्तव्यों का मूल्यांकन भी करते हैं। व्यक्तिगत और सामूहिक समस्याओं की जड़ें इन्हीं संस्थाओं की कार्य प्रणाली में निहित हैं।

BSWE- 001 Samaj Karya Parichay - Khand 5 Manav Vruddhi Aur Vikas - IGNOU: BSWE - 001 समाज कार्य परिचय - खंड 5 मानव वृद्धि और विकास -इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BSWE-001 समाज कार्य परिचय (खंड 5: मानव वृद्धि और विकास) – इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड में पाँच इकाइयाँ हैं, इसमें व्यक्तित्व विकास की अवधारणाओं और सिद्धान्तों का वर्णन किया गया है। पहली इकाई का विषय व्यक्तित्व विकास है, इसमें आपको व्यक्तित्व विकास की अवधारणाओं और सिद्धान्तों का परिचय दिया है। दूसरी इकाई "व्यक्तित्व निर्धारण : आनुवंशिकता और पर्यावरण की भूमिका" से संबंधित है। तीसरी इकाई "मानव विकास की विभिन्न अवस्थाएँ" में मृत्यु की सकल्पना से लेकर व्यक्ति की भौतिकीय मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों की चर्चा की है। चौथी इकाई 'व्यक्तित्व के सिद्धांत" पर आधारित है। इसमें व्यक्तित्व के सिद्धांतों को स्पष्ट किया गया है जिसमें प्रख्यात मनोवैज्ञानिकों और अन्य विद्वानों के सिद्धांतों का अध्ययन किया है। पाँचवीं और अंतिम इकाई "मनोलैंगिक विकासः फ्रायड की अवधारणा" में व्यक्तित्व विकास की आपसी समझ के साथ फ्रायड के सहयोग का विश्लेषण किया है।

BSWE 001 Samaj Karya Parichay Khand 1 Vyavasayik Samaj Karya Ka Aavirbhav IGNOU: BSWE 001 समाज कार्य परिचय खंड 1 व्यावसायिक समाज कार्य का आविर्भाव इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BSWE-001 समाज कार्य परिचय (खंड 1: व्यावसायिक समाज कार्य का आविर्भाव) – इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड में चार इकाइयाँ हैं, यह खण्ड व्यावसायिक समाज कार्य के विषयों से अवगत कराएगा। इस खण्ड में समाज और समाज कल्याण क्षेत्रों में प्रयोग की जाने वाली अवधारणाओं की पहचान और उनका स्पष्टीकरण किया जाएगा। इसकी प्रथम दो इकाइयाँ समाज कार्य अवधारणाओं का परिचय-I और समाज कार्य अवधाणाओं का परिचय-II, सामाजिक क्षेत्र और समाज कार्य में प्रयोग होने वाली मूल अवधारणाओं को समझने में सहायक होंगी। इसकी तीसरी इकाई 'विदेशों में समाज कार्य का अविर्भाव' में आपका परिचय पश्चिम में समाज कार्य के इतिहास से कराया जाएगा। चौथी इकाई भारत में समाज कार्य परम्परा और शिक्षा के विकास से संबंधित है जिसमें भारत में समाज कार्य व्यवसाय और समाज कार्य शिक्षा के विकास को जानने का प्रयास किया गया है।

BSWE 001 Samaj Karya Parichay Khand 2 Samaj Karya Ke Mul tatva IGNOU: BSWE 001 समाज कार्य परिचय खंड 2 मानव वृद्धि और विकास इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BSWE-001 समाज कार्य परिचय (खंड 2: समाज कार्य के मूल तत्व) – इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड में पाँच इकाइयाँ हैं, इस खंड में परिचय समाज कार्य व्यवसाय की दार्शनिकता, सिद्धांतों, प्रणालियों और नीतियों से कराया जाएगा। इसकी पहली इकाई 'व्यावसायिक समाज कार्यःप्रकृति, क्षेत्र, उद्देश्य और कार्य में समाज में सामाजिक कार्य कर्ता का स्थान या स्थिति के संबंध में वर्णन है। दूसरी इकाई 'व्यावसायिक समाज कार्य: सामान्य सिद्धांत मूल्य और उनका अनुप्रयोग' के क्षेत्रों को और अधिक विस्तार से बताया है। तीसरी इकाई 'पंचवर्षीय योजनाओं में समाज सेवा और समाज कल्याण कार्यक्रम' का वर्णन किया है। चौथी इकाई 'भारत में स्वैच्छिक क्रिया और समाज कार्य में लोगों के जीवन स्तर के सुधार कार्यों में गैर-सरकारी संगठनों के प्रयासों का वर्णन किया गया है। पाँचवी इकाई 'भारतीय संदर्भ में समाज कार्य नैतिक संहिता के बारे में बताया है।

BSWE 001 Samaj Karya Parichay Khand 2 Samaj Karya Ke Mul tatva IGNOU: BSWE 001 समाज कार्य परिचय खंड 2 समाज कार्य के मूल तत्व इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BSWE-001 समाज कार्य परिचय (खंड 2: समाज कार्य के मूल तत्व) – इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड में पाँच इकाइयाँ हैं, इस खंड में परिचय समाज कार्य व्यवसाय की दार्शनिकता, सिद्धांतों, प्रणालियों और नीतियों से कराया जाएगा। इसकी पहली इकाई 'व्यावसायिक समाज कार्यःप्रकृति, क्षेत्र, उद्देश्य और कार्य में समाज में सामाजिक कार्य कर्ता का स्थान या स्थिति के संबंध में वर्णन है। दूसरी इकाई 'व्यावसायिक समाज कार्य: सामान्य सिद्धांत मूल्य और उनका अनुप्रयोग' के क्षेत्रों को और अधिक विस्तार से बताया है। तीसरी इकाई 'पंचवर्षीय योजनाओं में समाज सेवा और समाज कल्याण कार्यक्रम' का वर्णन किया है। चौथी इकाई 'भारत में स्वैच्छिक क्रिया और समाज कार्य में लोगों के जीवन स्तर के सुधार कार्यों में गैर-सरकारी संगठनों के प्रयासों का वर्णन किया गया है। पाँचवी इकाई 'भारतीय संदर्भ में समाज कार्य नैतिक संहिता के बारे में बताया है।

BSWE 001 Samaj Karya Parichay - Khand 3 Samaj ka Parichay - IGNOU: BSWE 001 समाज कार्य परिचय - खंड 3 समाज का परिचय – इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BSWE 001 समाज कार्य परिचय - खंड 3 समाज का परिचय – इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड में पाँच इकाइयाँ हैं, इस पाठ्यक्रम में समाज का परिचय दिया गया है। इस खंड में समाज शास्त्र की मूल अवधारणाओं के संबंध में बताया गया है। इस ज्ञान का अनुप्रयोग समाज कार्य प्रणालियों के माध्यम से किया गया है। समाज कार्य के द्वारा इन विषयों से उधार लिया गया ज्ञान रचनात्मक कार्यों में उपयोग किया गया है। पहली इकाई में मूल सामाजिक अवधारणाओं के बारे में जानकारी दी गई है जिसमें समाज कार्य व्यवहार में लगातार प्रयोग होने वाली सामाजिक शब्दावली की जानकारी के साथ विषय के संबंध में विस्तार से बताया गया है। दूसरी इकाई में समाज का मूल्यांकनः प्रकृति और विशेषताओं की चर्चा है। तीसरी इकाई में सामाजिक प्रक्रिया पर चर्चा की गई है। चौथी इकाई में 'सामाजिक परिवर्तन' सामाजिक परिवर्तन और सामाजिक परिवर्तन में शामिल कारकों का उल्लेख किया गया पाँचवी इकाई सामाजिक नियंत्रण पर है, जो कि सामाजिक नियन्त्रण की अवधारणा से संबद्ध है।

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