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Pratinidhi Kahaniyan-Mithileshwar

by Mithileshwar

जाने-माने कथाकार मिथिलेश्वर हिन्दी कथा-साहित्य में एक अलग महत्त्व रखते हैं । प्रेमचंद और रेणु के बाद हिन्दी कहानी से जिस गाँव को निष्कासित कर दिया गया था, अपनी कहानियों में मिथिलेश्वर ने उसी की प्रतिष्ठा की है । दूसरे शब्दों में, वे ग्रामीण यथार्थ के महत्त्वपूर्ण कथाकार हैं और उन्होंने आज की कहानी को संघर्षशील जीवन-दृष्टि तथा रचनात्मक सहजता के साथ पुन: सामाजिक बनाने का कार्य किया है । इस संग्रह में शामिल उनकी प्राय: सभी कहानियाँ बहुचर्चित रही हैं । ये सभी कहानियाँ वर्तमान ग्रामीण जीवन के विभिन्न अन्तर्विरोधों को उद्‌घाटित करती हैं, जिससे पता चलता है कि आजादी के बाद ग्रामीण यथार्थ किस हद तक भयावह और जटिल हुआ है । बदलने के नाम पर गरीब के शोषण के तरीके बदले हैं और विकास के नाम पर उनमें शहर और उसकी बहुविध विकृतियां पहुँची हैं । निस्सन्देह इन कहानियों में लेखक ने जिन जीवन-स्थितियों और पात्रों का चित्रण किया है, वे हमारी जानकारी में कुछ बुनियादी इजाफा करते हैं और उनकी निराडंबर भाषा-शैली इन कहानियों को और अधिक सार्थक बनाती हैं ।

Pratinidhi Kahaniyan-Hrishikesh Sulabh

by Hrishikesh Sulabh

''अपनी कहानियों पर बात करना मेरे लिए कठिन काम है। बहुत हद तक अप्रिय भी। लिखी जा चुकी और प्रकाशित हो चुकी कहानियों से अक्सरहाँ मैं पीछा छुड़ाकर भाग निकलता हूँ, पर मुझे लगता है कि यह मेरा भ्रम ही है। मेरी कहानियों के कुछ पात्र लगातार मेरा पीछा करते हैं और अपनी छवि बदलकर, किसी लिखी जा रही नई कहानी में घुसने की बार-बार कोशिशें करते हैं। कई बार तो घुस भी आते हैं और मैं उन्हें न रोक पाने की अपनी विवशता पर हाथ मलते रह जाता हूँ। जैसे, 'वधस्थल से छलाँगÓ का रामप्रकाश तिवारी, जो 'यह गम विरले बूझे' या 'काबर झील का पाखी' जैसी कहानियों में घुस आया। मैंने अपनी कहानियों में प्रवेश के लिए किसी एक रास्ते का चुनाव नहीं किया। हर कहानी में प्रवेश के लिए मेरी राह बदल जाती है। कभी किसी पात्र की बाँह पकड़कर प्रवेश करता हूँ, तो कभी कोई घटना या व्यवहार या स्मृति या विचार कहानी के भीतर पैठने के लिए मेरी राहों की निर्मिति करते हैं। हमेशा एक अनिश्चय और अनिर्णय की स्थिति बनी रहती है। हर बार नई कहानी शुरू करने से पहले मेरा मन थरथर काँपता है। शायद यही कारण है कि बहुत कम कहानियाँ लिख सका हूँ। मेरे कुछ मित्रों का मानना है कि कहानी और नाटक लिखने के बीच आवाजाही के कारण मेरी कहानियों पर आलोचकों की नज़र नहीं पड़ी। पर यह सच है कि नाटक और कहानी के बीच मेरी यह आवाजाही मुझे बहुत प्रिय है। हर बार नौसिखुए की तरह अथ से आरम्भ करना मुझे पुनर्नवा करता है। मैं यह करते रहना चाहता हूँ।'' —भूमिका से

Pratinidhi Kahaniyan-Rajkaml Chaudhry

by Rajkamal Choudhary

प्रस्तुत संकलन की कहानियाँ रोटी, सेक्स एवं सुरक्षा के जटिल व्याकरण से जूझते आम जनजीवन की त्रासदी की कथा कहती हैं । राजकमल की मैथिली कहानियों के पात्र जहाँ सामाजिक मान्यताओं के व्‍यूह में फँसकर भी अपनी परंपराओं के मानदण्ड में परहेज से रहते हैं वहाँ इनकी हिन्दी कहानियों के पात्र महानगरीय जीवन के कशमकश में टूट-बिखर जाते हैं । यौन विकृतियाँ इनकी मैथिली एवं हिन्दी-दोनों भाषाओं की कहानियों का प्रमुख विषय है और दोनों जगह यह अर्थतंत्र द्वारा ही संचालित होती हैं । ये कहानियाँ कहानीकार की गहन जीवनानुभूति और तीक्ष्‍णतम अभिव्यक्ति का सबूत पेश करती हैं । राजकमल की कहानियाँ न केवल विषय के स्तर पर, बल्कि भाषा एवं शिल्प की अन्यान्य प्रविधियों के स्तर पर भी एक चुनौती है जो कई मायने में सराहनीय भी है और ग्रहणीय भी । इनकी कहानियों का सबसे बड़ा सच है कि जहाँ से इनकी कहानी खत्म होती है, उसकी असली शुरुआत वहीं से होती है ।

Pratinidhi Kahaniyan-Jogendra Paul

by Jogendra Paul

पहली बार मैं जब जोगेंद्र पाल से मिला तो वो ठीक अपनी शक्ल, किरदार और आदतों के एतवार से एक मालदार जौहरी नजर आया | बाद में मुझे मालूम हुआ कि मेरा कयास ज्यादा गलत भी न था | वो जौहरी तो जरूर है, लेकिन हीरे-जवाहरात का नहीं; अफसानों का - और मालदार भी लेकिन अपनी कला में | - कृष्ण चंदर | एक परिचय : धरती का काल उर्दू कथा-साहित्य में जोगेंद्र पाल अपने रचनात्मक अनुभव के लिए नए-नए महाद्वीप खोजनेवाले कथाकार हैं-चंद उन कथाकारों में से एक जिन्होंने अपनी आँखे बाहर की और खोल राखी हैं और जो अपने दिल के रोने की आवाज पर भी कान धरते हैं...| - डॉ. अनवर सदीद औरक | लाहौर जोगेंद्र पाल के यहाँ कहानी बयान नहीं होती, बल्कि सामने जिंदगी के स्टेज पर घटित होती है | उनके चरित्र उस स्टेज से निकलकर हमारे हवास के इतने करीब आ जाते हैं कि हमें अपने वजूद में उनकी साँसों का उतार-चढाव महसूस होता है...| - डॉ. कमर रईस | जोगेंद्र अपल : फेन और शख्सियत जोगेंद्र पाल ने मुर्दा लफ्जों को नई जिंदगी अता करने की तख्लीकी (रचनात्मक) कोशिश की है ; उनमें आदम बू पैदा की है | उनकी रचनातमक भाषा जानने की जुबान नहीं, जीने की जुबान है | - निजाम सिद्दीकी

Pratinidhi Kahaniyan-Amarkant

by अमरकांत

अमरकांत की कहानियों में मध्यवर्ग, विशेषकर निम्न-मध्यवर्ग के जीवनानुभवों और जिजीविषाओं का बेहद प्रभावशाली और अन्तरंग चित्रण मिलता है ! अक्सर सपाट-से नजर आनेवाले कथ्यों में भी वे अपने जिवंत मानवीय संस्पर्श के कारण अनोखी आभा पैदा कर देते हैं ! सहज-सरल रूपबंधवाली ये कहानियां जिंदगी की जटिलताओं को जिस तरह समेटे रहती हैं, कभी-कभी उससे चकित रह जाना पड़ता है ! लेकिन यह अमरकांत की ख़ास शैली है ! अमरकांत के व्यक्तित्व की तरह उनकी भाषा में भी एक ख़ास किस्म की फक्कड़ता है ! लोक-जीवन के मुहावरों और देशज शब्दों के प्रयोग से उनकी भाषा में माटी का सहज स्पर्श तथा ऐसी सोंधी गंध रच-बस जाती है जो पाठकों को किसी छदम उदात्तता से परे, बहुत ही निजी लोक में, ले जाती है ! उनमे छिपे हुए व्यंग्य से सामान्य स्थितियाँ भी बेहद अर्थव्यंजक हो उठती हैं ! अमरकांत के विभिन्न कहानी-संग्रहों में चरित्रों का विशाल फलक ‘जिन्दगी और जोंक’से लेकर ‘मित्र मिलन’ तक फैला हुआ है ! उन्ही संग्रहों की लगभग सब चर्चित कहानियां एक जगह एकत्र होने के कारण इस संकलन की उपादेयता निश्चित रूप से काफी बढ़ गई है !

Pratinidhi Kahaniyan-Shekhar Joshi

by Shekhar Joshi

शेखर जोशी की कहानियों में शिल्प और संवेदना के अंतर्संबंधो की सुरम्य रचना के साथ जीवन और समाज के सहज उन्नयन एवं परिवर्तनकारी दृष्टि के प्रति दायित्वबोध साफ़ दृष्टिगोचर होता है ! कथात्मक गठन में भाषा के सूक्ष्म उपयोग का उन जैसा आधुनिक बोध हिन्दी कहानी में अपरिचित है ! अत्यन्त सहज और ठंडी भाषा के माध्यम से ए कहानियाँ हमारे समक्ष जिस यथार्थ का उद्घाटन करती हैं, उसके पीछे समकालीन जन-जीवन की बहुविध विडम्बनाओं को महसूस किया जा सकता है ! सपनों की वास्तविकता से अपरिचित बच्चों की ख़ुशी हो या बिरादरी की दलदल में फँसे व्यक्ति की मनोदशा-लेखकीय दृष्टि उन्हें एक अर्थ-गाम्भीर्य से भर देती है ! उसके पास आदर्शवादी निर्णय हैं तो उनके सामने खड़ा कठोर और भयावह यथार्थ भी है ! वस्तुतः शेखर जोशी की ये कहानियाँ बिना किसी शोर-शराबे के हमारी सोच के विभिन्न स्तरों को स्पर्श और झंकृत करनेवाले रचनात्मक गुणों से परिपूर्ण हैं !

Pratinidhi Kahaniyan-Rangeya Raghav

by Rangeya Raghav

प्रस्तुत संकलन में जिन दस कहानियों को प्रस्तुत किया है वे हैं :‘पंच परमेश्वर’, ‘नारी का विक्षोभ’,‘देवदासी’, ‘तबेले का धुँधलका’,‘ऊँट की करवट’, ‘भय’, ‘जाति और पेशा’,‘गदल’, ‘बिल और दाना’ तथा ‘कुत्ते की दुम और शैतान : नए टेकनीक्स’।

Bhauteek Bhugol Ke Mul Sinddhant class 11 - S.C.E.R.T Raipur - Chhattisgarh Board: भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत कक्षा 11 - एस.सी.ई.आर.टी. रायपुर - छत्तीसगढ़ बोर्ड

by Rajya Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad Raipur C. G.

भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत 11 वीं कक्षा का राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् छत्तीसगढ़ रायपुर ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है। इस किताब में कुल छः ईकाई दि गयी है, और उसमें पंधरह अध्याय दिए है । यह पुस्तक, ज्ञानवर्धक, ज्ञानोपयोगी एवं उपलब्धि स्तर की वृद्धि में सहायक सिद्ध होगी, यद्यपि संवर्धन एवं परिष्करण की सम्भावनाएँ सदैव भविष्य के लिए संचित रहती हैं, यह किताब में स्पष्टिकरण किया है।

Bhartiya Itihas ke Kuch Vishay Bhag 3 class 12 - S.C.E.R.T Raipur - Chhattisgarh Board: भारतीय इतिहास के कुछ विषय (भाग 3) कक्षा 12 - एस.सी.ई.आर.टी. रायपुर - छत्तीसगढ़ बोर्ड

by Rajya Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad Raipur C. G.

भारतीय इतिहास के कुछ विषय (भाग 3) 12 वीं कक्षा का राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् छत्तीसगढ़ रायपुर ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है। यह किताब हड़प्पा से शुरू होती है और भारतीय संविधान के बनने पर खत्म होती है। इसमें पाँच हजार वर्षों का सामान्य सर्वेक्षण नहीं बल्कि कुछ विशेष विषयों का गहन अध्ययन किया गया है। इस किताब में आर्थिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक विषयों को चुनकर बदलाव के अलग-अलग आयामों को समझने की कोशिश की है वहीं इनके बीच की दीवारों को भी तोड़ने का प्रयास किया है। इस किताब के कुछ विषय आपको उस युग की राजनीति तथा सत्ता और शक्ति की प्रकृति से परिचित करवाएँगे, वहीं कुछ में यह समझने का प्रयास है कि समाज कैसे संगठित होता है, कैसे काम करता है और कैसे बदलता है। कुछ और अध्याय बताते हैं धार्मिक जीवन और रीति-रिवाज़ों के बारे में, अर्थव्यवस्थाओं के विषय में और ग्रामीण एवं शहरी समाजों में बदलाव के बारे में।

UGC Net Itihas Prashna (Hindi)

by Kumar Nalin Kumar Ashutosh Naveen Kumar Vineet Kumar

यूजीसी नेट इतिहास प्रश्न इस किताब को हिंदी भाषा में अरिहंत पब्लिकेशन ने प्रकाशित किया गया है, नवीन पाठ्यक्रम की दृष्टीकोन को ध्यान में रखते हुए जूनियर रिसर्च फैलोशिप तथा लैक्चरशिप हेतु राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय पात्रता परीक्षा के अनुरूप 3 मॉडल पेपर्स को स्थान दिया गया है । इस पाठपुस्तक में संशोधित पैटर्न के अनुसार सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का अध्यायवार विवरण तथा वर्तमान परीक्षा-पद्धती के अनुरूप वस्तुनिष्ठ प्रश्नो, कथन-कारण, सुमेलन, युग्म, क्रम आदि से सम्बन्धित प्रश्नों का भरपूर समावेश किया गया है ।

sushant Test

by Sushant Bankar

Test

BSHF- 101 Manvikee Aur Samajik Vigyan Mey Aadhar Pathyakram - Khand 5 Aarthik Vikas - IGNOU: BSHF -101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम - खंड 5 आर्थिक विकास - इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BSHF-101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम (खंड 5: आर्थिक विकास) - इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड की चार इकाइयाँ हैं, इकाई 17 में भारत की अर्थव्यवस्था की आधारभूत संरचना का विवेचन किया गया है। यह आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास के बीच अंतर से प्रारंभ होता है। इकाई 18 आर्थिक योजना के भारतीय परिप्रेक्ष्य को दर्शाता है जोकि आर्थिक विकास की प्राप्ति में सहायक भूमिका निभाई है। इसमें विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के मुख्य उद्देश्यों और दबाब क्षेत्रों को स्पष्ट किया गया है। इकाई 19 में भारत की अर्थव्यवस्था का आकलन किया गया है। योजना उद्देश्यों को पृष्ठभूमि में रखते हुए इस इकाई में स्वतंत्रयोत्तर अवधि के दौरान आर्थिक संवृद्धि के संदर्भ में अंतर्वैयक्तिक और अतः क्षेत्रीय असमानता में न्यूनीकरण और गरीबी उन्मूलन के आधार पर भारत की अर्थव्यवस्था के निष्पादन का विश्लेषण किया गया है। इकाई 20 में भारतीय अर्थव्यवस्था के भूमंडलीकरण के आधारभूत सिद्धांतों और 1990 के दशक के दौरान देखे गए आमूलचूल नीति परिवर्तनों के पीछे तर्कों का विवेचन किया गया है।

BHDF -101 Hindi Me Aadhar Pathyakram - Khand 3 Sahitya Ka Aasvadan - IGNOU: BHDF -101 हिंदी में आधार पाठ्यक्रम - खंड 3 साहित्य का आस्वादन -इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BHDF-101 हिंदी में आधार पाठ्यक्रम (खंड 3: साहित्य का आस्वादन) – इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड में हम कुल छह इकाइयाँ दे रहे हैं। इकाई 13 में प्रेमचंद की कहानी ‘पूस की रात’ वाचन के लिए दी जा रही है। इकाई 14 में हरिशंकर परसाई द्वारा लिखित एक व्यंग्य-निबंध : ‘वैष्णव की फिसलन’ दिया गया है। इकाई 15 में मोहन राकेश का ‘बहुत बड़ा सवाल’ शीर्षक एकांकी वाचन के लिए दिया गया है। इकाई 16 में ‘जीने की कला’ शीर्षक महादेवी का एक नारी समस्या से संबंधित निबंध दिया गया है। इकाई 17 में 'जूठन' शीर्षक ओम प्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा का एक अंश दिया गया है। अंतिम इकाई में सूरदास, तुलसीदास, मैथिलीशरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ एवं महादेवी वर्मा का काव्य, वाचन के लिए दिया गया है। इस प्रकार इन इकाइयों में कहानी, व्यंग्य, निबंध, आत्मकथा और कविता नामक विधाओं का अध्ययन करेंगे। वाचन के अतिरिक्त इनमें इन विधाओं की विशेषताएँ बतायी गयी हैं।

Arthashastra mein Sankhiki (Chapter 6 to Last chapter) class 11 - S.C.E.R.T Raipur - Chhattisgarh Board: अर्थशास्त्र में सांख्यिकी (अध्याय 6 ते अंतिम अध्याय) कक्षा 11 - एस.सी.ई.आर.टी. रायपुर - छत्तीसगढ़ बोर्ड

by Rajya Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad Raipur C. G.

अर्थशास्त्र में सांख्यिकी (अध्याय 6 ते अंतिम अध्याय) कक्षा 11 वी का राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् छत्तीसगढ़ रायपुर ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पाठपुस्तक में 9 अध्याय दिये गये है, जिसमे हर अध्याय के विवरण कि व्याख्या कि गई है ।

Arthashastra mein Sankhiki (Chapter 1 to chapter 5) class 11 - S.C.E.R.T Raipur - Chhattisgarh Board: अर्थशास्त्र में सांख्यिकी (अध्याय 1 ते अध्याय 5) कक्षा 11 - एस.सी.ई.आर.टी. रायपुर - छत्तीसगढ़ बोर्ड

by Rajya Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad Raipur C. G.

अर्थशास्त्र में सांख्यिकी (अध्याय 1 ते अध्याय 5) कक्षा 11 वी का राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् छत्तीसगढ़ रायपुर ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पाठपुस्तक में 9 अध्याय दिये गये है, जिसमे हर अध्याय के विवरण कि व्याख्या कि गई है ।

Hindi (Apexit) class 10 - GSTB: हिंदी (एपेक्सिट) कक्षा 10 - जीएसटीबी

by Navneet

હિન્દી અપેક્ષિત માં ૪ વિભાગ આપેલ છે વિભાગ A ગદ્ય વિભાગ છે વિભાગ B પદ્ય વિભાગ છે.વિભાગ C વ્યાકરણ વિભાગ છે અને વિભાગ D લેખન વિભાગ છે.તેમાં 30 પ્રશ્નસંગ્રહ તેમજ ૨ આદર્શ પ્રશ્નપત્ર આપેલ છે.

BSHF -101 Manvikee Aur Samajik Vigyan Me Aadhar Pathyakram - Khand 6 Kalaen Aur Saundaryashastra - IGNOU: BSHF -101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम - खंड 6: आर्थिक विकास - इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BSHF-101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम (खंड 6: कलाएँ और सौन्दर्यशास्त्र) - इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । कलाएँ और सौन्दर्यशास्त्र किसी भी समाज की सभ्यता सम्बन्धी प्रक्रिया के आधार हैं। उनमें हमें मानवीय कल्पनाशीलता और संवेदनशीलता की उच्चतम अभिव्यक्ति मिलती है। इस खंड में चार आधारभूत पहलुओं पर चर्चा की गई है अर्थात् (i) साहित्य, (ii) ललित कलाएँ, (iii) नृत्य व संगीत, और (iv) चलचित्र व रंगमंच। हमने इन इकाइयों में कला के उन विभिन्न रूपों की रूपरेखा प्रस्तुत करने का प्रयास किया है जो इन अभिव्यक्तियों में विकसित हुए हैं।

BSOC 131 Samajshastra Ka Parichay IGNOU: BSOC 131 समाजशास्त्र का परिचय इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BSOC-131 समाजशास्त्र का परिचय – इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस पाठ्यक्रम में तीन खंड और तेरह इकाइयाँ (अध्याय) हैं। सबसे पहला "समाजशास्त्रः अनुशासन और परिप्रेक्ष्य” शीर्षक खंड समाजशास्त्र और सामाजिक मानव विज्ञान के रूप में अन्तः संबंधित अनुशासन के उद्भव को भी अवस्थित करता है लेकिन उन्हें विशिष्ट अनुशासन के रूप में भी स्थापित करता है। खंड 2 जिसका शीर्षक है "समाजशास्त्र और अन्य सामाजिक विज्ञान समाजशास्त्र के अन्य संबंधित विषयों के साथ समाजशास्त्र के संबंधों पर चर्चा करता है, विशेष रूप से, मानव विज्ञान, मनोविज्ञान, इतिहास, अर्थशास्त्र औरराजनीति विज्ञान के साथ। इसकी पाँच इकाइयाँ हैं। “बुनियादी अवधारणाओं" शीर्षक के तहत खंड 3 समाजशास्त्र में प्रयुक्त कुछ मूल अवधारणाओं की व्याख्या करता है। उनमें शामिल है "संस्कृति और समाज", "सामाजिक समूह और समुदाय", "संघ और संस्थाएँ", "प्रस्थिति और भूमिका", "समाजीकरण", "संरचना और कार्य", और "सामाजिक नियंत्रण और परिवर्तन"।

Vyavsay Adhyayan class 11 - S.C.E.R.T Raipur Chhattisgarh Board: व्यवसाय अध्ययन कक्षा 11 - एस.सी.ई.आर.टी. रायपुर - छत्तीसगढ़ बोर्ड

by Rajya Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad Raipur C. G.

व्यवसाय अध्ययन 11 वीं कक्षा का राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् छत्तीसगढ़ रायपुर ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है। यह पाठ्यपुस्तक व्यावसायिक वातावरण की एक अच्छी जानकारी देने की अपेक्षा करती है। एक प्रबन्धक को व्यवसाय की जटिल, गतिशील स्थितियों का विश्लेषण करना पड़ता है। विषय-वस्तु को अधिक समृद्ध बनाने के लिए व्यावसायिक पत्र-पत्रिकाओं और लेखों के उद्धरणों को अतिरिक्त रूप से कोष्ठकों में जोड़ा गया है। इससे विद्यार्थियों को प्रोत्साहन मिलता है कि वें व्यवसाय की प्रतिक्रियाओं का अवलोकन करें एवं स्वयं खोज करने का प्रयास करें कि व्यावसायिक संगठनों में क्या हो रहा है। यह भी अपेक्षा की जाती है कि इस दौरान वे पुस्तकालय, समाचार-पत्रों, व्यवसायोन्मुख दूरदर्शन कार्यक्रमों और इन्टरनेट के द्वारा आधुनिक जानकारी प्राप्त करेंगे। विभिन्न प्रकार के प्रश्न एवं केस समस्याएँ प्रस्तावित की गई हैं जिससे वे विषय के ज्ञान प्रयोग द्वारा वास्तविक व्यावसायिक स्थितियों को जान सकें।

BHDLA 135 Hindi Bhasha Vividh Prayog (Khand 2 Vachan Aur Vividh Vishay) IGNOU: BHDLA 135 हिंदी भाषा : विविध प्रयोग (खंड 2: भाषा तत्व और बोधन) इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BHDLA - 135 हिंदी भाषा : विविध प्रयोग (खंड 2: वाचन और विविध विषय) – इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड में छः परस्पर संबद्ध इकाइयाँ हैं, इन इकाइयों में विषय क्षेत्र का व्यापक आधार सम्मिलित किया गया है और बहुत सी आधारभूत अवधारणाओं को स्पष्ट किया गया है। इन सब इकाइयों में पाठों से संबंधित व्याकरणिक बिंदुओं को विशेष रूप से समझाया गया है। ज्ञान - विज्ञान के विषयों को पढ़ने के लिए इन विषयों की विशिष्ट पारिभाषिक शब्दावली का ज्ञान आवश्यक है। पारिभाषिक शब्द बोलचाल की भाषा से भिन्न निश्चित अर्थ में प्रयुक्त होते हैं। ज्ञान -विज्ञान के विषयों का वाचन करने की प्रक्रिया में बहुत से पारिभाषिक शब्द उन विषयों के संदर्भ में आपके सामने आएँगे। इनके बारे में हमने इकाइयों में आपको विस्तार से जानकारी दी है।

BHDLA 135 Hindi Bhasha Vividh Prayog (Khand 1 Bhasha Tatva Aur Bodhan) IGNOU: BHDLA 135 हिंदी भाषा : विविध प्रयोग (खंड 1: भाषा तत्व और बोधन) इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BHDLA - 135 हिंदी भाषा : विविध प्रयोग (खंड 1: भाषा तत्व और बोधन) – इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड में सात परस्पर संबद्ध इकाइयाँ हैं, इन इकाइयों में विषय क्षेत्र का व्यापक आधार सम्मिलित किया गया है और बहुत सी आधारभूत अवधारणाओं को स्पष्ट किया गया है। इन सब इकाइयों में पाठों से संबंधित व्याकरणिक बिंदुओं को विशेष रूप से समझाया गया है। अगर आप इस खंड में सीखे हुए बिंदुओं को ध्यान में रखें तो अधिक आसानी से विविध विषयों का वाचन कर सकेंगे और वाचन के अभ्यास से अभिव्यक्ति में पर्याप्त दक्षता हासिल कर सकेंगे। प्रत्येक इकाई के अंत में हमने विषय से संबद्ध उपयोगी पुस्तकों की सूची भी दी है। पुस्तकालय जाकर आप इन पुस्तकों के माध्यम से विषय का गहन अध्ययन भी कर सकते हैं।

BHDF 101 Hindi Me Aadhar Pathyakram (Khand 2 Vachan Aur Vividh Vishay) IGNOU: BHDLA 135 हिंदी भाषा : विविध प्रयोग (खंड 2: वाचन और विविध विषय) इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BHDF-101 हिंदी में आधार पाठ्यक्रम (खंड 2: वाचन और विविध विषय) – इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड में छः परस्पर संबद्ध इकाइयाँ हैं, इन इकाइयों में विषय क्षेत्र का व्यापक आधार सम्मिलित किया गया है और बहुत सी आधारभूत अवधारणाओं को स्पष्ट किया गया है। इन सब इकाइयों में पाठों से संबंधित व्याकरणिक बिंदुओं को विशेष रूप से समझाया गया है। ज्ञान - विज्ञान के विषयों को पढ़ने के लिए इन विषयों की विशिष्ट पारिभाषिक शब्दावली का ज्ञान आवश्यक है। पारिभाषिक शब्द बोलचाल की भाषा से भिन्न निश्चित अर्थ में प्रयुक्त होते हैं। ज्ञान -विज्ञान के विषयों का वाचन करने की प्रक्रिया में बहुत से पारिभाषिक शब्द उन विषयों के संदर्भ में आपके सामने आएँगे। इनके बारे में हमने इकाइयों में आपको विस्तार से जानकारी दी है।

BSHF 101 Manvikee Aur Samajik Vigyan Me Aadhar Pathyakram (Khand 3 Samajik Vyavastha) IGNOU: BSHF 101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम (खंड 3: सामाजिक व्यवस्था) इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BSHF-101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम (खंड 3: सामाजिक व्यवस्था) – इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड में चार परस्पर संबद्ध इकाइयाँ हैं, इन इकाइयों में विषय क्षेत्र का व्यापक आधार सम्मिलित किया गया है और बहुत सी आधारभूत अवधारणाओं को स्पष्ट किया गया है। इस प्रकार सामाजिक संरचना संबंधी इकाई में एक ओर भूमिका और प्रस्थिति की महत्वपूर्ण अवधारणाओं का तो दूसरी ओर श्रम के स्तरीकरण का तथा विभाजन का विवेचन किया है। यह खंड अध्ययन के लिए बहुत उपयोगी है, क्योंकि इसमें अध्ययन की बुनियादी अवधारणाओं और क्षेत्रों का विवेचन सामान्य रूप में स्नातक उपाधि कार्यक्रम (Bachelor's Degree Programme; BDP) और विशेष रूप से समाज विज्ञान (Sociology) में स्नातक कार्यक्रम के लिए किया गया है।

BSHF 101 Manvikee Aur Samajik Vigyan Me Aadhar Pathyakram (Khand 1 Manav Samaj Evan Isaka Vikas) IGNOU: BSHF 101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम (खंड 1: मानव समाज एवं इसका विकास) इग्नू

by Indira Vishvavidyalaya

BSHF-101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम (खंड 1: मानव समाज एवं इसका विकास) – इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड में हमको समाज की संकल्पना से अवगत कराएंगे। समाज विज्ञानों में समाज तथा उसके अतीत, वर्तमान और भविष्य का अध्ययन किया गया है। मानव तथा आधुनिक समाज के उदय से संबंधित इकाइयाँ हैं। अंतिम इकाई में समकालीन समाज की धारणा विशेषतः उत्तर औधोगिक समाज की अवधारणा का परिचय दिया गया है। ये इकाइयाँ इस बात की जाँच करती हैं कि कैसे समाज में परिवर्तन घटित होता है और समय-समय पर उसमें परिवर्तन होता है समाज की इस परिवर्तन की प्रकृति के बारे में भी कुछ विचार व्यक्त किए गए हैं।

Bhartiya Itihas ke Kuch Vishay Bhag 2 class 12 - S.C.E.R.T Raipur - Chhattisgarh Board: भारतीय इतिहास के कुछ विषय (भाग 2) कक्षा 12 - एस.सी.ई.आर.टी. रायपुर - छत्तीसगढ़ बोर्ड

by Rajya Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad Raipur C. G.

भारतीय इतिहास के कुछ विषय (भाग 2) 12 वीं कक्षा का राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् छत्तीसगढ़ रायपुर ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है। यह किताब हड़प्पा से शुरू होती है और भारतीय संविधान के बनने पर खत्म होती है। इसमें पाँच हजार वर्षों का सामान्य सर्वेक्षण नहीं बल्कि कुछ विशेष विषयों का गहन अध्ययन किया गया है। इस किताब में आर्थिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक विषयों को चुनकर बदलाव के अलग-अलग आयामों को समझने की कोशिश की है वहीं इनके बीच की दीवारों को भी तोड़ने का प्रयास किया है। इस किताब के कुछ विषय आपको उस युग की राजनीति तथा सत्ता और शक्ति की प्रकृति से परिचित करवाएँगे, वहीं कुछ में यह समझने का प्रयास है कि समाज कैसे संगठित होता है, कैसे काम करता है और कैसे बदलता है। कुछ और अध्याय बताते हैं धार्मिक जीवन और रीति-रिवाज़ों के बारे में, अर्थव्यवस्थाओं के विषय में और ग्रामीण एवं शहरी समाजों में बदलाव के बारे में।

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